2024 लोकसभा चुनाव परिणामों की समझ: दृष्टिकोणों और राजनीतिक रणनीतियों की कहानी
- Alok Kumar
- 8 जून 2024
- 3 मिनट पठन

तथाकथित हार जीत के निहितार्थ 18वीं लोकसभा चुनाव के परिणाम 4 जून को आए । तभी से इसे वर्तमान सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी की बड़ी हार और विपक्ष की बड़ी जीत के रूप में विश्लेषित कर जनता को दिग्भ्रमित करने का प्रयास कर रही है परंतु 7 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने स्वयं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संसदीय दल को संबोधित करते हुए विपक्षी दावों की पोल खोल दी।
उन्होंने यह सही ही कहा कि भारतीय जनता पार्टी ना हारी थी और ना हारी है । रही सही कसर एनडीए घटक दल में शामिल जनता दल यूनाइटेड के नेता तथा बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के द्वारा प्रधानमंत्री से की गई अपील आह्वान से निकल गई कि जो सीट मामूली अंतर से हम इस चुनाव में हार गए हैं ,ऐसी व्यवस्था कीजिए कि उसे भी अगली बार हम जीतें।
इस अपील में तथा प्रधानमंत्री जी के संबोधन में हमें यह संकल्प देखने को मिला कि हम अगली बार पुनः अपने जीत के अंतर को बहुत बड़ा बनाने में कामयाब होंगे। वस्तुतः कांग्रेस और संपूर्ण विपक्ष जिसे बड़ी हार के रूप में बताने का प्रयास कर रहे हैं वह उनके दोहरे एवं झूठ मानदंडों को स्पष्ट करता है 1989 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने किसी चुनाव में भी 240 सीटें नहीं जीती है । इसका एकमात्र अपवाद 1991 का लोकसभा चुनाव है जो राजीव गांधी की हत्या की सहानुभूति के परिप्रेक्ष्य में लड़ा गया था।
1989 में कांग्रेस को 197, 1991 के लोकसभा चुनाव में पहले यह सीटें 240 से कम थी परंतु बाद में कई उपचुनाव में जीत के बाद यह 244 था ।1996 में कांग्रेस को 140, 1998 में 141, 1999 में 114, 2004 में 145 , 2009 में 206 और 2014, 2019 और 2024 में लगातार यह 100 का आंकड़ा भी छू नहीं पाया।
इसके बावजूद भी कांग्रेस ,संपूर्ण विपक्ष और संपूर्ण देश में फैले कांग्रेस तंत्र द्वारा इसे प्रचारित किया जा रहा है कि यह कांग्रेस और विपक्ष की बड़ी जीत है और भाजपा तथा एनडीए की बड़ी हार है इसलिए यह आवश्यक था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ही इस पर स्थिति स्पष्ट की कि कांग्रेस और विपक्ष हार हो या जीत किसी को ठीक से पचा नहीं पाती । आज भी कांग्रेस सहित संपूर्ण विपक्ष भाजपा से कम सीटें ही जीत पाई है फिर भी यह मानसिक एवं बौद्धिक दिवालियापन ही है जो अपनी हार को भी जीत और दूसरे की जीत को भी हार के रूप में देख रही है और विश्लेषित कर रही है।
वस्तुतः सत्य यह है कि 2014 और 2019 में मिली बड़ी जीत के पश्चात यह जीत अपेक्षाकृत छोटी है । साथ ही 2014 और 2019 में कांग्रेस व विपक्ष की बड़ी हार के पश्चात यह हार थोड़ी छोटी है।
मुझे लगता है कि यह सरकार और विपक्ष दोनों के लिए ही अवसर है। यदि वर्तमान चुनाव के परिणाम के आंकड़ों के सही व सटीक मायनों को समझकर अपनी कमजोरी को दूर करने तथा अपनी मजबूती को मजबूत करने के संकल्प व इरादों से कार्य किया जाए तो निश्चय ही 2019 में यह सरकार की ऐतिहासिक जीत का कारण बन सकता है। प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व को जो लोग जानते हैं वे बखूबी यह समझते भी हैं कि वह अपने कमियों को दूर कर पुनः प्रचंड जीत को लाने में सक्षम हैं।
परंतु दूसरी तरफ कांग्रेस और विपक्ष पुनः अपने झूठ के सहारे अपनी राजनीतिक किस्मत को तलाशने व तराशने के अनवरत मिशन में लगे हैं। झूठ का तंत्र वह बोल वाला अल्पकालिक होता है भारतीय जनता पार्टी और सरकार पूरी क्षमता के साथ इस झूठ के तंत्र को बेनकाब करने में सक्षम है
Right Sir 🙏
शानदार , बहुत खूब सर...🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Shandar sir 🙏💐